कुंडली में पदाधिकारी योग
ग्रहों की विशेषता के आधार पर आप जान सकते हैं कि क्या आप अधिकारी बन सकते हैं। कुंडली में ग्रह की स्थिति जितनी
बलवान होगी, योग भी उतना ही प्रभावकारी होता जाएगा। कुंडली में दशम भाव और छटा भाव नोकरी का माना गया है !
कुछ योग ग्रहों की विशेषता के आधार पर बनते हैं और कुछ राशियों की विशेषता के आधार पर बनते हैं । अच्छे योग के
साथ ही कुंडली में विपरीत योग पर भी दृष्टि डालनी चाहिए और शुभाशुभ का निष्कर्ष निकालना चाहिए। पूर्ण फलादेश
सम्पूर्ण कुंडली विश्लेषण से ही संभव है अतः कुंडली एवं रत्न परामर्श हेतु जयपुर कार्यालय पर सम्पर्क करें। आइये जानते हैं
कि ग्रहों के भ्रमण से आपकी कुंडली पर क्या प्रभाव होगा—
पदाधिकारी योग—
● धनु लग्न की कुंडली में बलवान सूर्य व बृहस्पति दोनों ही दशम भाव में स्थित हों, तो जातक पदाधिकारी होता है।
● यदि दशम भाव में बलवान सूर्य स्थित हो तथा बलवान दशमेश तीसरे भाव में स्थित हो और बृहस्पति से सूर्य दृष्ट हो, तो
इस योग में उत्पन्न व्यक्ति भी पदाधिकारी होता है।
● यदि कुंडली में मंगल अपनी उच्च राशि या स्वराशि का होकर दशम भाव में बैठा हो तथा उस पर बलवान लग्नेश की दृष्टि
हो तो भी जातक पदाधिकारी होता है।
● यदि कुंडली में बलवान लग्नेश दशम भाव में तथा बलवान दशमेश लग्न में स्थित हो तथा बृहस्पति से दृष्ट हो, तो जातक
पदाधिकारी होता है।
● कुंडली में मंगल, सूर्य, बुध, बृहस्पति, शनि, दशम भाव तथा दशमेश- इन सबकी स्थिति जितनी बलवान होगी, उसी के
अनुसार जातक को पद प्राप्त होता है।
● यदि कुंडली में बलवान लग्नेश तथा चंद्र दोनों केंद्र में अपने मित्र की राशि में युत हों तथा लग्न बलवान हो, तो इस योग में
जन्म लेने वाला जातक भी इस योग के प्रभाव से पदाधिकारी होता है।
● यदि कुंडली में बलवान नवमेश, दशम भाव में तथा बलवान दशमेश, नवम भाव में हो तथा लग्नेश नवम या दशम भाव में
हो तथा लग्नेश पर बलवान बृहस्पति की दृष्टि हो, तो इस योग वाला व्यक्ति भी पदाधिकारी होता है।
● यदि चंद्रमा व बृहस्पति दोनों लग्न से द्वितीय भाव में स्थित हों, बलवान द्वितीयेश लाभ भाव में हो तथा बलवान लग्नेश
शुभ ग्रह से युत हो, तो इस योग में उत्पन्न जातक पदाधिकारी होता है।
● मिथुन लग्न कुंडली में दशम भाव में बलवान गुरु व शुक्र हों, तो इस योग में जन्म लेने वाला व्यक्ति पदाधिकारी होता है।
● मकर लग्न कुंडली में पंचम भाव में चंद्रमा हो, लग्न में बुध व शुक्र तथा नवम भाव में बलवान बृहस्पति हो, तो जातक
अधिकारी होता है।
● यदि कुंडली में दशम भाव में बलवान चंद्रमा हो तथा दशमेश अपनी उच्च राशि में हो एवं बलवान भाग्येश लग्न से द्वितीय
भाव में हो, तो इस योग में उत्पन्न जातक भी अधिकारी होता है।
● कुंडली में यदि सभी ग्रह मेष, कर्क, तुला व मकर, इन राशियों में हों तो इस योग में जन्म लेने वाला जातक भी अधिकारी
होता है।
■ ज्योतिष फलदायक न होकर फल सूचक है ! किसी भी निष्कर्ष पर पहुचने से पहले किसी योग्य ज्योतिर्विद से परामर्श कर
ही किसी निर्णय पर पहुचना चाहिए !