राहु-काल
राहु-काल व्यक्ति को सावधान करता है. कि यह समय अच्छा नहीं है इस समय में किये गये कामों के निष्फल होने की संभावना है. इसलिये, इस समय में कोई भी शुभ काम नहीं किया जाना चाहिए.! इससे किये गये काम में अनिष्ट होने की संभावना रहती है.! सामान्य रुप से इसमें सूर्य के उदय के समय को प्रात: 06:00 बजे का मान कर अस्त का समय भी सायं काल 06:00 बजे का माना जाता है. 12 घंटों को बराबर आठ भागों में बांटा जाता है. प्रत्येक भाग डेढ घण्टे का होता है.!
दक्षिण भारत में प्रचलित:----
राहु काल का विशेष प्रावधान दक्षिण भारत में है.! यह सप्ताह के सातों दिन निश्चित समय पर लगभग डेढ़ घण्टे तक रहता है. इसे अशुभ समय के रुप मे देखा जाता है. इसी कारण राहु काल की अवधि में शुभ कर्मो को यथा संभव टालने की सलाह दी जाती है!. इससे किये गये काम में अनिष्ट होने की संभावना रहती है.! राहु काल के समय में किसी नये काम को शुरु नहीं किया जाता है परन्तु जो काम इस समय से पहले शुरु हो चुका है उसे राहु-काल के समय में बीच में नहीं छोडा जाता है.! अशुभ कामों के लिये इस समय का विचार नहीं किया जाता है. उन्हें दिन के किसी भी समय किया जा सकता है.
राहु काल दिन के आठ भाग :--
राहु काल अलग- अलग स्थानों के लिये अलग-2 होता है. इसका कारण यह है की सूर्य के उदय होने का समय विभिन्न स्थानों के अनुसार अलग होता है. सप्ताह के पहले दिन के पहले भाग में कोई राहु काल नहीं होता! राहु काल सोमवार को दूसरे भाग में, शनि को तीसरे, शुक्र को चौथे, बुध को पांचवे, गुरुवार को छठे, मंगल को सांतवे तथा रविवार को आंठवे भाग में होता है.! यह प्रत्येक सप्ताह के लिये स्थिर है! सही भाग निकालने के लिये सूर्य के उदय व अस्त के समय को पंचाग से देख आठ भागों में बांट कर समय निकाला जाता है!
राहु काल-समय:---
- 1. सोमवार :----- सुबह 7:30 बजे से लेकर प्रात: 9.00 बजे तक
- 2. मंगलवार :---- दोपहर 3:00 बजे से लेकर दोपहर बाद 04:30 बजे तक
- 3. बुधवार:------- दोपहर 12:00 बजे से लेकर 01:30 बजे दोपहर तक
- 4. गुरुवार :------ दोपहर 01:30 बजे से लेकर 03:00 बजे दोपर तक
- 5. शुक्रवार :----- प्रात: 10:30 से 12:00 बजे तक
- 6. शनिवार:----- प्रात: 09:00 से 10:30 बजे तक
- 7. रविवार:------ सायं काल में 04:30 बजे से 06:00 बजे तक