कुंडली में ग्रहों की युती और उसका फल
●सूर्य+चन्द्रमा- राजकीय ठाठ - बाठ , अधिकार, पद, उत्तम राजयोग , डॉक्टर , दो विवाह , गृहस्थ जीवन हल्का , स्त्रीयों द्वारा
विरोध, बुढ़ापा उत्तम।
● सूर्य+ मंगल- साहसी , अग्नि से सम्बंधित कामों में सफलता , सर्जन , डॉक्टर , अधिकारी , सर में चोट, का निशान , दुर्घटना ,
खुद का मकान बनाये।
● सूर्य+बुध- विद्या , बुद्धि देता है, सरकारी नौकरी, ज्योतिष , अपने प्रयास से धनवान , बचपन में कष्ट ।
● सूर्य+गुरू- मान-मर्यादा , श्रेष्टता , उच्च पद तथा यश में वृद्धि करता है, स्वयं की मेहनत से सफलता।
● सूर्य+शुक्र- कला,साहित्य, यांत्रिक कला, क्रोध, प्रेम सम्बन्ध, बुरे, गृहस्थ बुरा , संतान में देरी , तपेदिक , पिता के लिए अशुभ।
● सूर्य+शनि- पिता-पुत्र में बिगाड़ अथवा जुदाई। युवावस्था में संकट, राज दरबार बुरा। स्वास्थ कमजोर। पिता की मृत्यु ,
गरीबी। घरेलू अशांति। पत्नी का स्वास्थ कमजोर।
● सूर्य+राहू- सरकारी नौकरी में परेशानी। चमड़ी पर दाग , खर्च हो। घरेलू अशांति , परिवार की बदनामी का डर। श्वसुर की
धन की स्थिति कमजोर। सूर्य को ग्रहण।
● सूर्य+केतू- सरकारी काम अथवा सरकारी नौकरी में उतार-चढ़ाव। संतान का फल बुरा।
● चन्द्रमा+मंगल- मन की स्थिति डांवाडोल। दुर्घटना। साहसिक कामों से धन लाभ, उत्तम धन।
● चन्द्र+बुध- उत्तम वक्ता। बुद्धिमत्ता। लेखन शक्ति। गहन चिंतन। स्वास्थ में गड़बड़। दो विवाह योग। मानसिक असंतुलन।
● चन्द्र+गुरू- उत्तम स्थिति,धन प्राप्ति,बैंक में अधिकारी,उच्च पद,मान-सम्मान। धनी। यदि पाप दृष्टी हो तो विद्द्या में रूकावट।
● चन्द्र+शुक्र- दो विवाह योग। अन्य स्त्री से सम्बन्ध। विलासी। शान-शौकत का प्रेमी। रात का सुख।
● चन्द्र+शनि- दुःख। मानसिक तनाव। नज़र की खराबी। माता तथा धन के लिए ठीक नहीं। हर काम में रूकावट। गरीबी।
शराबी। उदास ,सन्यासी। स्त्री सुख में कमी।
●चन्द्र+राहू- पानी से डर। शरीर पर दाग। विदेश यात्रा। जिस भाव में स्थित हो उसकी हानी।
● चन्द्र+केतू- विद्या में रूकावट। मूत्र वीकार। जोड़ों में दर्द। केमिष्ट।
● मंगल+बुध- साहसिक कार्यो से लाभ,बुद्धी-साहस का योग। खोजी निगाह। स्पष्ट वक्ता। इंजीनियर। डाक्टर। दुर्घटना आदि।
● मंगल+गुरू- गणितज्ञ , विद्वान , ज्योतिषी, खगोल शास्त्री , पीलिया, धनवान , अगुआ, तथा नेता।
● मंगल+शुक्र- व्यापार में कुशल,धातु शोधक। विमान चालक। साहसी। अंतराष्ट्रीय व्यापार। ऑटोमोबाइल। कार। फर्नीचर।
● मंगल+शनि- दुर्घटना। इंजीनियर। डॉक्टर। भाइयों से अनबन। धन संग्रह में रूकावट। चमड़ी तथा खून में वीकार। साहसिक
कार्यों में सफलता। धन-दौलत चोरी। डाकू। ड्राइवर। सरकारी अधिकारी।
● मंगल+राहू- कम बोले। उत्साही। चुस्त। फसादी। दिमाग तेज। शाही सवारी। अधिकारी। रसोई में होशियार।
●मंगल+केतू- संतान का फल शुभ। पुत्र साहसी। तपेदिक। चमड़ी तथा पैरों में रोग। जोड़ों का सूजन। आत्महत्या आदि।
● बुध+गुरू- विद्वान। कवि। काव्य रचियता, कभी अमीर , कभी गरीब। अकाउंटेंट। बैंक में अधिकारी। एजेंट। वकील।
●बुध+शुक्र- अर्द्ध सरकारी,सरकारी नौकरी। घरेलू सुख। कला कौशल। शिल्प कला,प्रेम सम्बन्ध खराब। मशीनरी, क्लर्क।
● बुध+शनि- कम बोलने वाला। गंभीर स्वभाव। बीमा व्यवसाय। शराबी। स्त्रीयों का मिलनसार। पिता के लिए बुरा।
●बुध+राहू- पागल खाना। जेल। हस्पताल। जानवरों का शिकारी। दिमाग में विकार। मानसिक तनाव। शिकारी।
●बुध+केतू- यात्रा लगी रहे। कमर, पेशाब, एवं रीढ़ की हड्डी में वीकार तथा दुःखी। पैरों में विकार। अन्वेषक। जादू टोना।
●गुरू + शुक्र- सुखी। बलवान। चतुर. नीतिवान। पत्नी या पिता एक सहायक। घरेलू अशांति। अध्यापिका।
●गुरू + शनि- कार्यों में निपुण। धनी। तेजस्वी। विद्या में रूकावट। पत्नी तथा पिता के लिये अशुभ। बीमारी। चिंतन शक्ति उत्तम।
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